Dr. Neelam

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तितलियाँ हसरतों की

*तितलियाँ हसरतों की*

तितलियाँ हसरतों की
पिंजरा-ए-दिल खोल
आसमां अपना तलाशने
दूर गगन में उड़ चलीं,
दबी हुई ख्वाहिशों को
मानों जिंदगी की हवा
मिल गई।

रंग अपनी कलाओं के
बिखेरतीं, चाहतों के
मार्ग चुनकर,नयी दिशाओं में अपनी
हस्ति का डंका बजाने
कर्म की रौशनी की ओर
उड़ चलीं।

नाजुक हैं, कोमल भी
मगर हिम्मत कम नहीं
है हमें भी तलब
खुलकर जीने की,
हक हमारे भी हैं
समान जहां में,सच तो
ये है
हम भी किसी से कम
नहीं।

         डा.नीलम

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2 Comments

Arti khamborkar

21-Sep-2024 09:25 AM

amazing

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madhura

08-Aug-2024 09:45 PM

V nice

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